निर्देश(1-5) नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
समय वह अमूल्य धन है जिसे भगवान ने हर जीवित प्राणी को उपहारस्वरूप दिया है। भगवान के दिये हुए इस वरदान का बुद्धिमान एवं परिश्रमी इंसान उपयोग करते हैं और आलसी व्यर्थ गंवा देता है। समय का पहिया सदैव चलता रहता है। गया हुआ वक्त कभी वापस नहीं आता। समय कीमती है उसका उपयोग करना सीखना ही उन्नति की कुंजी है। कहावत भी है- गया वक्त कभी हाथ नहीं आता। समय का सदुपयोग करने के लिये, प्रत्येक कार्य को करने का समय निश्चित करना चाहिये। अगर हम सब काम समय पर कर लें तो पायेंगे कि हमारा जीवन कितना सुखद, शान्त और व्यवस्थित है। हमें कभी पछताना नहीं पड़ेगा। जो व्यक्ति समय का महत्व नहीं समझते, बेकार गप्पें मारते हैं, इधर उधर घूमते हैं, योजनाबद्ध तरीके से काम नहीं करते, वह जीवन की दौड़ में पिछड़ जाते हैं। उनका कोई काम समय पर पूरा नहीं होता। समय सूखी रेत की तरह हाथ से फिसल जाता है और वह हाथ मलते रह जाते हैं। समय निकल जाने के बाद हम कुछ नहीं कर सकते। तुलसीदास ने कहा है, ‘का वर्षा जब कृषि सुखानी’ अर्थात खेती सूखने के बाद वर्षा का कोई महत्व नहीं होता। इसी प्रकार समय निकलने के बाद हम कुछ नहीं कर सकते इसलिए हमें अपना हर काम समय पर समाप्त कर लेना चाहिए।
विद्यार्थियों के जीवन में समय का महत्व और भी अधिक है। जो विद्यार्थी सत्रारम्भ से ही नियमित पढ़ाई करने लगते हैं, व्यर्थ समय नहीं गंवाते। परीक्षा के समय उन्हें कोई घबराहट नहीं होती। पर्चा देखकर वह बगलें नहीं झांकते। वह अच्छे अंकों में उत्तीर्ण होते हैं और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता उनके कदम चूमती है। संसार के जितने भी महान व्यक्तियों से हम परिचित हैं उनकी जीवनचर्या बताती है कि वह समय का मूल्य समझते थे। उन्होंने जीवन के प्रत्येक पल का उपयोग किया और समय ने उनको पूरा सम्मान दिया।
Q1. गद्यांश के अनुसार, बुद्धिमान एवं परिश्रमी व्यक्ति ईश्वर के किस वरदान का उपयोग करते हैं?
(a) मस्तिष्क
(b) समय
(c) प्रकृति
(d) आत्मबल
Q2. गद्यांश के अनुसार, ‘का वर्षा जब कृषि सुखानी’ किसने कहा था।
(a) कालिदास
(b) तुलसीदास
(c) चाणक्य
(d) सूरदास
Q3. गद्यांश के अनुसार, कौन से विद्यार्थी पर्चा देख कर बगलें झांकते हैं?
(a) नियमित पढ़ाई करने वाले
(b) व्यर्थ समय न गवाने वाले
(c) परिश्रम करने वाले
(d) व्यर्थ समय गवाने वाले
Q4. गद्यांश के अनुसार, समय का मूल्य कौन समझते हैं?
(a) नेता
(b) किसान
(c) महान व्यक्ति
(d) डॉक्टर
Q5. गद्यांश के अनुसार, समय को किसकी संज्ञा दी गई है?
(a) पानी
(b) हवा
(c) रेत
(d) पहिया
Q6. ‘क्ष’ ध्वनि किसके अंतर्गत आती है?
(a) मूल स्वर
(b) घोष वर्ण
(c) संयुक्त वर्ण
(d) तालव्य
Q7. निम्नलिखित में से ‘उष्म व्यंजन’ कौन से हैं?
(a) श, ष, स, ह
(b) य, र, ल, व
(c) क ख ग घ
(d) क्ष, त्र, ज्ञ, श्र
Q8. ‘च’ और ‘छ’ वर्ण का उच्चारण स्थान कौन-सा है?
(a) तालु
(b) मूर्धा
(c) ओष्ठ
(d) कन्ठ
Q9. हिंदी की ‘श’ ध्वनि है-
(a) मूर्धन्य
(b) तालव्य
(c) दंत्य
(d) ओष्ठ्य
Q10. हिंदी वर्णमाला में ‘अयोगवाह’ वर्ण कौन-से हैं?
(a) अ, आ
(b) इ, ई
(c) उ, ऊ
(d) अं, अ:
Solutions
S1. Ans. (b):
Sol. ईश्वर द्वारा प्रदत्त ‘समय’ के वरदान का उचित प्रयोग बुद्धिमान एवं परिश्रमी व्यक्ति करते हैं।
S2. Ans. (b):
Sol. गद्यांश में ‘का वर्षा जब कृषि सुखानी’ तुलसीदास द्वारा कहा गया है। जिसका अर्थ है कि कृषि सूखने के बाद वर्षा होने का कोई औचित्य नहीं है।
S3. Ans. (d):
Sol. जो विद्यार्थी समय का उचित प्रयोग नहीं करते हैं वे पर्चा देख कर बगलें झांकते हैं। बगलें झाँकने का अर्थ है कि फँस जाने पर इधर-उधर से निकल भागने के लिए राह खोजना।
S4. Ans. (c):
Sol. गद्यांश के अनुसार, समय का मूल्य महान व्यक्ति समझते हैं। वैसे तो समय का महत्त्व नेता, किसान और डॉक्टर के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है परन्तु गद्यांश के अनुसार उत्तर के रूप में महान व्यक्तियों का प्रयोग उचित है।
S5. Ans. (c):
Sol. ‘समय’ को ‘रेत’ की संज्ञा दी गई है क्योंकि समय की तरह रेत भी हाथ से फिसल जाती है, कोशिश करने पर भी नहीं ठहरती।
S6. Ans. (c):
Sol. ‘क्ष’ ध्वनि (क् + ष = क्ष) संयुक्त वर्ण के अंतर्गत आती है।
S7. Ans. (a):
Sol. ‘श, ष, स, ह’, उष्म व्यंजन हैं।
S8. Ans. (a):
Sol. ‘च’ और ‘छ’ वर्ण का उच्चारण स्थान तालु है।
S9. Ans. (b):
Sol. तालव्य ध्वनियाँ- जिन ध्वनियों के उच्चारण में जिह्वा का मध्य भाग तालु से स्पर्श करता है, उन्हें तालव्य कहते हैं। इ, ई (स्वर); च, छ, ज, झ, ञ, श, य (व्यंजन)।
S10. Ans. (d):
Sol. ‘अं, अ:’, ‘अयोगवाह’ वर्ण हैं।
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