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ESIC अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना: मुख्य बिंदु एक नज़र में

हाल ही में अटल बिमित व्यक्ति कल्याण योजना के पात्रता मानदंडों में कोरोना महामारी को चलते कुछ बदलाव किये गए हैं। कर्मचारी राज्‍य बीमा निगम’ (Employees’ State Insurance Corporation- ESIC) ने इसे एक वर्ष बढ़ाकर 30 जून 2021 कर दिया है. इसके अलावा,  ESIC ने पात्रता मानदंडों में ढील दी है और योजना के तहत बेरोजगारी लाभ के भुगतान को बढ़ाया है (24 मार्च से 31 दिसंबर 2020 तक लागू)।

‘कर्मचारी राज्‍य बीमा निगम’ (Employees’ State Insurance Corporation- ESIC) की 182वीं बैठक के दौरान श्रम और रोजगार राज्यमंत्री श्री संतोष कुमार गंगवार की अध्यक्षता में ESIC निगम ने सेवा प्रदायगी तंत्र में बेहतरी लाने  एवं COVID-19 महामारी के कारण प्रभावित श्रमिकों को राहत प्रदान करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं।

यहीं आपको बता दें कि केंद्र सरकार की इस योजना के तहत नौकरी से निकाले गए बेरोजगारों को वित्तीय मदद दी जाती है। यह योजना कर्मचारी राज्य बिमा निगम (ESIC) द्वारा संचालित योजना है। कर्मचारी राज्य बीमा निगम, एक बहुआयामी सामाजिक प्रणाली है जो श्रमिक आबादी को सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में कार्य करती है।

अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना के बारे में

योजना का शुभारंभ ESI कॉर्पोरेशन द्वारा जुलाई 2018 में किया गया था। इस योजना के अनुसार, यदि बीमित व्यक्ति (IP) बेरोजगार है, तो इससे पिछले चार अंशदान अवधि के दौरान प्रति दिन की औसत कमाई का 25% तक राहत मिलती है, जिसमें एक बार अधिकतम 90 दिनों की बेरोजगारी का भुगतान करना होता है. बीमित व्यक्ति को एफिडेविट के रूप में दावा प्रस्तुत करने पर करना होता है।

ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि योजना के तहत बीमित व्यक्तियों को बेरोजगारी की दशा में नकद मुआवजा प्रदान किया जाता है। ‘कर्मचारी राज्‍य बीमा निगम’ द्वारा योजना का कार्यान्वयन किया जा रहा है और इस योजना को प्रारंभ में दो वर्ष के लिये पायलट आधार पर शुरू किया गया था।

राहत का लाभ उठाने के लिए, पात्रता मानदंड में निम्नानुसार छूट दी गई है यानी संशोधित मानदंड इस प्रकार हैं:

– इस योजना के तहत अधिकतम 90 दिनों की बेरोजगारी के लिये औसत मज़दूरी को 25% से बढ़ाकर 50% तक कर दिया गया है।

– बेरोजगारी के 90 दिनों के बाद देय होने वाली राहत के बजाय, यह अब 30 दिनों के बाद भुगतान किया जाएगा।

– अंतिम नियोक्ता द्वारा अग्रेषित किए जाने वाले दावे के बजाय बीमित व्यक्ति द्वारा ESIC शाखा कार्यालय में दावा प्रस्तुत कर सकता है और भुगतान सीधे बीमित व्यक्ति के बैंक खाते में किया जाएगा।

– बीमित व्यक्ति को उसकी बेरोजगारी से पहले, कम से कम 2 वर्ष की न्यूनतम अवधि के लिये बीमा योग्य रोज़गार में होना चाहिये. इसके अलावा, उसका बेरोजगारी से ठीक पहले की योगदान अवधि में 78 दिनों से कम का योगदान नहीं होना चाहिये। बेरोजगारी से पहले दो वर्षों में शेष 3 योगदान अवधियों में से एक में कम से कम 78 दिनों का भी योगदान होना चाहिये।

COVID-19 महामारी के दौरान ESIC अस्पतालों में ICU / HDU सेवाओं को मजबूत करने के लिए, सभी ESIC अस्पतालों में कुल कमीशन बेड के 10% तक ICU / HDU सेवाओं को स्थापित करने का निर्णय भी लिया गया है।

यह बदलाव कब तक चलेंगे?

COVID-19 महामारी के दौरान जिन श्रमिकों ने अपना रोज़गार खो दिया है, उन्हें योजना के तहत विद्यमान शर्तों एवं राहत की राशि में छूट देने का निर्णय लिया गया है यानी इस योजना में पात्रता की शर्तों में ESIC द्वारा ढील दी गई है। यह डील 24 मार्च 2020 से 31 दिसंबर 2020 तक चलेगी। इसके बाद मांग और 1 जनवरी 2021 से 30 जून 2021 की अवधि के दौरान योजना मूल पात्रता शर्तों के साथ उपलब्ध होगी।

साथ ही मूल योजना के तहत मानदंडों को भी जान लेते हैं.

– योजना के तहत प्रतिदिन की औसत कमाई के 25% यानी पिछली चार योगदान अवधि के लिये तक इस योजना के तहत राहत प्रदान की जाती है।

– इस योजना के तहत बीमित व्यक्ति अपने जीवनकाल में एक बार में अधिकतम 90 दिनों की बेरोजगारी के लिये भुगतान कर सकता है।

– राहत भुगतान, बेरोजगारी के 90 दिनों के बाद किया जाएगा।

– कर्मचारी से संबंधित योगदान, नियोक्ता द्वारा भुगतान या देय होना चाहिये।

– इस योजना का लाभ उठाने के लिए बीमित व्यक्ति को दो वर्ष की न्यूनतम अवधि के लिये बीमा योग्य रोज़गार में होना चाहिये। बीमित व्यक्ति को पूर्ववर्ती चार योगदान अवधि के दौरान कम से कम 78 दिनों का योगदान होना चाहिये।

अन्य शर्तें इस योजना के तहत इस प्रकार हैं:

राहत का दावा करने के लिए बीमित व्यक्ति को अवधि के दौरान बेरोजगार होना चाहिये।
ऐसे कर्मचारी जो कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम- 1948 की धारा 2 (9) के तहत कवर हैं।
बेरोजगारी का कारण दुराचार, सेवानिवृत्ति या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति नहीं होना चाहिये।
बीमित व्यक्ति के डेटाबेस से आधार कार्ड और बैंक खाते को जोड़ा जाना चाहिये।
यदि बीमित व्यक्ति एक से अधिक नियोक्ता के लिये कार्य कर रहा है और उसे कर्मचारी राज्य बीमा योजना के तहत कवर किया गया है, तो उसे केवल तभी बेरोजगार माना जाएगा, जब वह सभी नियोक्ताओं के यहाँ बेरोजगार होगा।
एक ही अवधि के लिये बीमित व्यक्ति किसी भी अन्य नकद मुआवज़े और इस योजना के तहत राहत का एक साथ लाभ नहीं ले सकेगा।

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